भारत अगले महीने स्माल सॅटॅलाइट लांच व्हीकल (एसएसएलवी) की विकास उड़ान के दौरान अंतरिक्ष आधारित विमान निगरानी प्रणाली का परीक्षण करेगा। वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
एसएसएलवी, जिसका लक्ष्य प्लानर ऑर्बिट में 500 किलो तक के उपग्रहों को लॉन्च करना था, पिछले साल 7 अगस्त को अपनी पहली विकास उड़ान में असफल रहा था। एसएसएलवी की दूसरी विकास उड़ान अगले महीने होने की संभावना है, जो सफल होने पर इसरो को 10 किलोग्राम से 500 किलोग्राम वजन वाले छोटे उपग्रहों के लिए मांग पर लॉन्च सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देगा।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने यहां 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस से इतर संवाददाताओं से कहा, “मैं आपको कोई निश्चित तारीख नहीं बता सकता, लेकिन हम अगले महीने एक परीक्षण उड़ान की योजना बना रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत इस साल चांद पर लैंड रोवर भेजने के प्रयास के अलावा मंगल और शुक्र पर वैज्ञानिक मिशन भेजने की भी योजना बना रहा है।
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान लगभग तैयार है। ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। लेकिन हम मिशन शुरू करने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं, जो जून में है। हम उस लॉन्च विंडो को पूरा करने की कोशिश करेंगे,” उन्होंने कहा।
इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी अगले महीने एसएसएलवी पर सॅटॅलाइट बेस्ड आटोमेटिक डिपेंडेंट सर्विलांस ब्रॉडकास्ट (एडीएस-बी) रिसीवर प्रणाली का भी परीक्षण करेगी।
“एडीएस-बी रिसीवर को एक विमान के सभी डिटेल्स मिलते हैं। फिलहाल एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को ये सिग्नल मिलते हैं। लेकिन कुछ ब्लाइंड स्पॉट हैं – दुनिया भर में लगभग 30 प्रतिशत हवाई क्षेत्र – जहां एटीसी की पहुंच नहीं है। अब हमने अंतरिक्ष आधारित एडीएस-बी तकनीक विकसित कर ली है।’
उन्होंने कहा कि अगले महीने एसएसएलवी परीक्षण उड़ान में अंतरिक्ष आधारित एडीएस-बी प्रणाली का परीक्षण किया जाएगा।
सिंह ने कहा कि इरिडियम नेक्स्ट लो अर्थ ऑर्बिट उपग्रह पर पेलोड का उपयोग करते हुए अंतरिक्ष आधारित एडीएस-बी तकनीक वर्तमान में कनाडा स्थित कंपनी द्वारा विमान कंपनियों को व्यावसायिक रूप से पेश की जाती है।
सिंह ने कहा कि इसरो अगले साल जीसैट-20 हाई थ्रुपुट उपग्रह लॉन्च करने की भी योजना बना रहा है जो केए बैंड का उपयोग कर एयरोमोबाइल सेवाओं के लिए इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करेगा।