देश के स्वदेशीकरण अभियान में एक कदम आगे बढ़ते हुए, भारत लंबी दूरी की निगरानी और टोही के लिए इंटेलिजेंट एयरक्राफ्ट-माउंटेड सिस्टम विकसित कर रहा है। रक्षा विकास के लिए भारत के प्रमुख प्राधिकरण, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इमेजिंग सिस्टम विकसित करने का जिम्मा लिया है जिसे एक एयरबोर्न प्लेटफार्म पर लगाया जा सकता है।

परियोजना की नोडल एजेंसी देहरादून में डीआरडीओ का इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च और डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (आईआरडीई) है, जो आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र के सहयोग से किया जाएगा। इस परियोजना पर काम इसी साल से शुरू होना है।

इंटेलिजेंट एयरक्राफ्ट-माउंटेड सिस्टम

इंटेलिजेंट एयरक्राफ्ट-माउंटेड सिस्टम हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर और मानव रहित हवाई व्हीकल पर दिन और रात दोनों के दौरान और विभिन्न प्रकार की जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों में ऑटो-एक्वीजीशन और ऑटो-ट्रैकिंग को सक्षम करने के लिए स्थापित किया जाएगा।

इस बात पर निर्भर करते हुए कि एरियल प्लेटफॉर्म फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट है या हेलीकॉप्टर, सिस्टम को नाक पर या प्लेटफॉर्म के नीचे लगाया जा सकता है। सेंसर के इनपुट को भारतीय वायु सेना के निगरानी और संचार नेटवर्क में शामिल किया जाएगा और निर्णय लेने के लिए कमांड सेंटरों को रियल टाइम में ट्रांसमिट किया जाएगा।

इंटेलिजेंट एयरक्राफ्ट-माउंटेड सिस्टम विभिन्न पेलोड और सेंसर जैसे थर्मल इमेजर, हाई-डेफिनिशन टीवी कैमरा, इन्फ्रा-रेड कैमरे, लेजर रेंज फाइंडर और लेजर टारगेट डिज़ाइनर के साथ-साथ वीडियो टारगेट ट्रैकिंग, जियो पोजिशनिंग और जियो नेविगेशन कैपेबिलिटीज का दावा करेगा। एयरक्राफ्ट माउंटेड सिस्टम का कथित तौर पर पेलोड सहित 50 किलोग्राम वजन और ऊंचाई में लगभग 20 इंच और व्यास में 16 इंच का माप होगा।

आईआरडीई

इंस्ट्रूमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (IRDE) मुख्य रूप से रक्षा सेवाओं के लिए ऑप्टिकल और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंस्ट्रूमेंटेशन में अनुसंधान, डिजाइन, विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर केंद्रित है। हाल ही में, संगठन ने ड्रोन का पता लगाने और कोस्टल और पोर्ट सर्विलांस निगरानी के लिए विभिन्न इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम बनाने की परियोजनाओं पर काम करना शुरू किया।

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