ऐसे समय में जब अमेरिका और रूस यूक्रेन को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं, भारत इन दोनों देशों से लगभग 200 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य की मिसाइल प्रणाली खरीदने की योजना बना रहा है।
एएनआई, रक्षा सूत्रों ने बताया कि रक्षा बलों द्वारा एक प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय में एक उन्नत चरण में है, जिसके अनुसार भारतीय नौसेना ने रूस से 20 क्लब एंटी-शिप क्रूज मिसाइल और अमेरिकी हारपून एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम के लिए उपकरण हासिल करने का प्रस्ताव दिया है।
उन्होंने कहा कि रूस की क्लूब मिसाइल भारतीय नौसेना की सतह के युद्धपोतों और पनडुब्बियों दोनों पर सुसज्जित है और लंबे समय से इसके लिए इम्पोर्ट करने वाली वेपन्स सिस्टम में से एक रही है।
एक फॉरेन मिलिट्री सेल्स रूट के तहत हारपून मिसाइल प्रणाली के एक्वीजीशन पर भारतीय नौसेना को लगभग 80 मिलियन अमरीकी डालर खर्च होने की उम्मीद है।
अमेरिकी कांग्रेस पहले ही हारपून ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट (जेसीटीएस) और संबंधित उपकरणों को भारत को बेचने की मंजूरी दे चुकी है।
भारतीय नौसेना पहले ही अपने एंटी सबमरीन वारफेयर एयरक्राफ्ट और पनडुब्बियों पर हार्पून मिसाइल तैनात कर चुकी है।
भारत ने एक हारपून जॉइंट कॉमन टेस्ट सेट (JCTS) खरीदने का अनुरोध किया था जिसमें एक हारपून इंटरमीडिएट लेवल मेंटेनेंस स्टेशन शामिल है; स्पेयर और मरम्मत भागों, समर्थन और परीक्षण उपकरण; प्रकाशन और तकनीकी दस्तावेज; कर्मियों का प्रशिक्षण; अमेरिकी सरकार और ठेकेदार तकनीकी, इंजीनियरिंग और रसद समर्थन सेवाएं; और रसद और कार्यक्रम समर्थन के अन्य संबंधित तत्व। भारत पारंपरिक रूप से रूसी हथियार प्रणालियों का उपयोग करता रहा है, लेकिन पिछले दो दशकों में अमेरिका और फ्रांस से बड़े पैमाने पर खरीद के साथ अपने ऐकुज़िशन्स में विविधता लाई है।