भारत और जापान गुरुवार (8 सितंबर) से शुरू होने वाली दूसरी 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के लिए तैयार हो रहे हैं। जिसमें भारत-जापान इंडो-पैसिफिक, Military Forum और Outer Space के Joint Production पर चर्चा करेंगे । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने के लिए अपने समकक्षों- रक्षा मंत्री Yasukazu Hamada और विदेश मामलों के मंत्री Yoshimasa Hayashi से मुलाकात करेंगे।
विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित एजेंडा
दोनों देश एक विशेष रणनीतिक और global partnership का अनुसरण कर रहे हैं जो कानून के शासन, स्वतंत्रता और लोकतंत्र के साझा मूल्यों के सम्मान पर आधारित है। दोनों मंत्री अपने समकक्षों के साथ रक्षा मंत्री स्तरीय बैठक और विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता करेंगे।
भारत और जापान के बीच 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्षिक भारत-जापान शिखर सम्मेलन के लिए जापानी प्रधान मंत्री Fumio Kishida की यात्रा के पांच महीने से अधिक समय बाद हो रहा है।
द्विपक्षीय साझेदारी को और मजबूत करने के लिए नई पहल की खोज के अलावा, दोनों पक्ष इंडो-पैसिफिक में विकास, नाटो के विस्तार, चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान संकट और आपसी हित के अन्य मुद्दों का जायजा लेंगे।
टोक्यो में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान रक्षा सहयोग को गहरा करने के नए रास्तों की पहचान करने के बारे में अपने समकक्ष के साथ चर्चा करेंगे। वह जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से भी मुलाकात करेंगे।
पार्श्वभूमि
भारत-जापान द्विपक्षीय वार्ता के संयुक्त रूप से विकसित करने और विभिन्न सैन्य प्लेटफार्मों में भाग लेने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है। इनमें फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल, ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत Shinmayawa US-2 amphibious aircraft का निर्माण, नौसैनिक जहाजों और पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है। जापान ने भारत के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) परियोजना में भाग लेने और इन प्लेटफार्मों के निर्माण में उपयोग की जाने वाली सामग्री और घटक प्रदान करने की पेशकश की है।
रक्षा सहयोग
दोनों पक्ष पहले से ही द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास कर रहे हैं। बताया जा है कि 2020 में दोनों देशों ने दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इसके अलावा दोनों देशों के लिए समुद्री डोमेन जागरूकता, खुला, मुक्त और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, दक्षिण चीन सागर और कोरियाई प्रायद्वीप में विकास रुचि के हैं।
वार्ता बाहरी अंतरिक्ष में सहयोग, उत्तर पूर्व में विकास परियोजनाओं और साइबर सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।